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abch1 : L=139-141 indra? #19

Closed funderburkjim closed 7 months ago

funderburkjim commented 1 year ago
<L>139<pc>11
<eid>256<syns>इन्द्रप्रासाद-पुं,वैजयन्त-पुं
<eid>257<syns>इन्द्रध्वज-पुं,वैजयन्त-पुं
<eid>258<syns>इन्द्रपुरी-स्त्री,अमरावती-स्त्री
वैजयन्तौ तु प्रासादध्वजौ पुर्यमरावती ।
<LEND>
<LEND>
<L>140<pc>11
<eid>259<syns>इन्द्रसरस्-क्ली,नन्दीसरस्-क्ली
<eid>260<syns>इन्द्रपर्षद्-स्त्री,सुधर्मन्-पुं
<eid>261<syns>इन्द्रवन-क्ली,नन्दन-क्ली
सरो नन्दीसरः पर्षत्सुधर्मा नन्दनं वनम् ॥ १७८ ॥
<LEND>

Where does इन्द्र come from?
It does not appear in the verse. Same question for L=141.

drdhaval2785 commented 1 year ago

It is an अनुवृत्ति from before.

<L>133<pc>11
<eid>242<syns>इन्द्र-पुं,हरि-पुं,दुश्च्यवन-पुं,अच्युताग्रज-पुं,वज्रिन्-पुं,विडौजस्-पुं,मघवन्-पुं,पुरन्दर-पुं,प्राचीनबर्हिस्-पुं,पुरुहूत-पुं,वासव-पुं,सङ्क्रन्दन-पुं,आखण्डल-पुं,मेघवाहन-पुं,सुत्रामन्-पुं,वास्तोष्पति-पुं,दल्मि-पुं,शक्र-पुं,वृषन्-पुं,सुनाशीर-पुं,सहस्रनेत्र-पुं,पर्जन्य-पुं,हर्यश्व-पुं,ऋभुक्षिन्-पुं,बाहुदन्तेय-पुं,वृद्धश्रवस्-पुं,तुराषाह्-पुं,सुरर्षभ-पुं,तपस्तक्ष-पुं,जिष्णु-पुं,वरक्रतु-पुं,शतक्रतु-पुं,कौशिक-पुं,पूर्वदिक्पति-पुं,देवपति-पुं,अप्सरःपति-पुं,स्वर्गपति-पुं,शचीपति-पुं,पृतनाषाह्-पुं,उग्रधन्वन्-पुं,मरुत्वत्-पुं,मघवत्-पुं
इन्द्रो हरिर्दुश्च्यवनोऽच्युताग्रजो वज्री विडौजा मघवान्पुरंदरः ।
प्राचीनबर्हिः पुरुहूतवासवौ संक्रन्दनाखण्डलमेघवाहनाः ॥ १७१ ॥
सुत्रामवास्तोष्पतिदल्मिशक्रा वृषा शुनासीरसहस्रनेत्रौ ।
पर्जन्यहर्यश्वऋभुक्षिबाहुदन्तेयवृद्धश्रवसस्तुराषाट् ॥ १७२ ॥
सुरर्षभस्तपस्तक्षो जिष्णुर्वरशतक्रतुः ।
कौशिकः पूर्वदिग्देवाप्सरःस्वर्गशचीपतिः ॥ १७३ ॥
पृतनाषाडुग्रधन्वा मरुत्वान्मघवास्य तु ।
<LEND>
<L>134<pc>11
<eid>243<syns>पाक-पुं
<eid>244<syns>वृत्र-पुं
<eid>245<syns>पुलोमन्-पुं
<eid>246<syns>नमुचि-पुं
<eid>247<syns>बल-पुं
<eid>248<syns>जम्भ-पुं
<eid>249<syns>इन्द्रप्रिया-स्त्री,शची-स्त्री,इन्द्राणी-स्त्री,पौलोमी-स्त्री,जयवाहिनी-स्त्री
द्विषः पाकोऽद्रयो वृत्रः पुलोमा नमुचिर्बलः ॥ १७४ ॥
जम्भः प्रिया शचीन्द्राणी पौलोमी जयवाहिनी ।
<LEND>
<L>135<pc>11
<eid>250<syns>इन्द्रतनय-पुं,जयन्त-पुं,जयदत्त-पुं,जय-पुं
तनयस्तु जयन्तः स्याज्जयदत्तो जयश्च सः ॥ १७५ ॥
<LEND>
<L>136<pc>11
<eid>251<syns>इन्द्रसुता-स्त्री,जयन्ती-स्त्री,तविषी-स्त्री,ताविषी-स्त्री
<eid>252<syns>इन्द्रहय-पुं,उच्चैःश्रवस्-पुं
सुता जयन्ती तविषी ताविष्युच्चैःश्रवा हयः ।
<LEND>
<L>137<pc>11
<eid>253<syns>इन्द्रसारथि-पुं,मातलि-पुं
<eid>254<syns>इन्द्रद्वाःस्थ-पुं,देवनन्दिन्-पुं
मातलिः सारथिर्देवनन्दी द्वाःस्थो गजः पुनः ॥ १७६ ॥
<LEND>
<L>138<pc>11
<eid>255<syns>ऐरावण-पुं,अभ्रमातङ्ग-पुं,चतुर्दन्त-पुं,अर्कसोदर-पुं,ऐरावत-पुं,हस्तिमल्ल-पुं,श्वेतगज-पुं,अभ्रमुप्रिय-पुं
ऐरावणोऽभ्रमातङ्गश्चतुर्दन्तोऽर्कसोदरः ।
ऐरावतो हस्तिमल्लः श्वेतगजोऽभ्रमुप्रियः ॥ १७७ ॥
<LEND>
<L>139<pc>11
<eid>256<syns>इन्द्रप्रासाद-पुं,वैजयन्त-पुं
<eid>257<syns>इन्द्रध्वज-पुं,वैजयन्त-पुं
<eid>258<syns>इन्द्रपुरी-स्त्री,अमरावती-स्त्री
वैजयन्तौ तु प्रासादध्वजौ पुर्यमरावती ।
<LEND>
<L>140<pc>11
<eid>259<syns>इन्द्रसरस्-क्ली,नन्दीसरस्-क्ली
<eid>260<syns>इन्द्रपर्षद्-स्त्री,सुधर्मन्-पुं
<eid>261<syns>इन्द्रवन-क्ली,नन्दन-क्ली
सरो नन्दीसरः पर्षत्सुधर्मा नन्दनं वनम् ॥ १७८ ॥
<LEND>
<L>141<pc>11
<eid>262<syns>इन्द्रवृक्ष-पुं,कल्प-पुं
<eid>263<syns>इन्द्रवृक्ष-पुं,पारिजात-पुं
<eid>264<syns>इन्द्रवृक्ष-पुं,मन्दार-पुं
<eid>265<syns>इन्द्रवृक्ष-पुं,हरिचन्दन-पुं
<eid>266<syns>इन्द्रवृक्ष-पुं,सन्तान-पुं
<eid>267<syns>इन्द्रधनुस्-क्ली,देवायुध-क्ली
<eid>268<syns>ऋज्विन्द्रधनुस्-क्ली,रोहित-क्ली
वृक्षाः कल्पः पारिजातो मन्दारो हरिचन्दनः ।
संतानश्च धनुर्देवायुधं तदृजु रोहितम् ॥ १७९ ॥
<LEND>
<L>142<pc>11
<eid>269<syns>दीर्घर्ज्विन्द्रधनुस्-क्ली,ऐरावत-क्ली
<eid>270<syns>वज्र-क्ली,अशनि-पुंस्त्री,ह्रादिनी-स्त्री,स्वरु-पुं,शतकोटि-पुं,पवि-पुं,शम्ब-पुं,दम्भोलि-पुं,भिदुर-क्ली,भिदु-पुं,व्याधाम-पुं,कुलिश-पुंक्ली
<eid>271<syns>वर्जार्चिस्-स्त्री,अतिभी-स्त्री
<eid>272<syns>वज्रध्वनि-पुं,स्फुर्जथु-पुं
दीर्घर्ज्वैरावतं वज्रं त्वशनिर्ह्रादिनी स्वरुः ।
शतकोटिः पविः शम्बो दम्भोलिर्भिदुरं भिदुः ॥ १८० ॥
व्याधामः कुलिशोऽस्यार्चिरतिभीः स्फुर्जथुर्ध्वनिः ।
<LEND>
drdhaval2785 commented 1 year ago

From 134 onwards, everything is related to”indra”. His enemies, wife, son, daughter, city, weapon etc.